मुझसे लोग उन्हें आर्शीवाद देने के लिए कहते रहते हैं कि वे जो कुछ अपने जीवन में चाहते हैं,आपकेसभीसपनेसचनहों उसे उनके जीवन में घटित होना चाहिए. ‘सद्गुरु, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिए कि ये हो, वो हो.’ मैं उनसे कहता हूं, ‘मेरा आर्शीवाद है कि आपके सारे सपने सच नहीं हों.’उन्हें धक्का लगता है- मैं चाहता हूं कि आप इस पर गौर करें कि वह क्या है जिसका सपना आप देख सकते हैं? आपके सारे सपने बस उसका विस्तार हैं जो आप पहले ही जानते हैं. वे अतीत का विस्तार हैं क्योंकि आप किसी ऐसी चीज की कल्पना नहीं कर सकते जिसे आपने कभी नहीं देखा. आप किसी ऐसी चीज की कल्पना नहीं कर सकते जिसके लिए कोई डाटा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि आपका मन असल में उस जानकारी के आधार पर काम करता है जो आपने जमा कर रखी है, जो वास्तव में आपका अतीत है. अगर आपके पास एक लाख डालर हैं तो आप एक करोड़ डालर की सोचेंगे. अगर आप ऐसे ही चलते रहे, तो आप पक्का कर ले रहे हैं कि आपके साथ कुछ भी नया कभी नहीं घटित होगा.लोग अपने अतीत को दोहराना चाहते हैं और अचरज करते हैं कि मेरा जीवन इतना नीरस क्यों है. अपने सपनों को कुछ समय के लिए सुला दीजिए. मेरा आर्शीवाद है, ‘आपके सपने सच न हों. ऐसी चीजें जिनका आप कभी सपना भी नहीं देख सकते थे, वो आपके साथ घटित हों.’इसीलिए कर्म बहुत महत्वपूर्ण है - ताकि आप एक खुली संभावना बन जाएं. कर्म आपकी स्मृति का आधार है. इसका मतलब है कि एक इंसान के रूप में आप अभी जो हैं- शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, और ऊर्जा की दृष्टि से, वह कुछ खास मात्रा में स्मृति है.मान लीजिए मुझे कुत्तों के भोजन की चाह होने लगी और मैंने तीन दिन तक कुत्ते का खाना खाया, क्या मैं कुत्ता हो जाऊंगा? नहीं, मेरे अंदर एक विकासमूलक स्मृति है, जो वैसा कुछ नहीं होने देगी. शरीर की हर कोशिका स्पष्ट बोलती है कि यह एक इंसान है. मान लीजिए कि मैं अमेरिकी खाना खाता हूं. क्या मैं एक अमेरिकी व्यक्ति बन जाऊंगा? क्या मेरी चमड़ी का रंग बदल जाएगा? नहीं! क्योंकि मेरे अंदर आनुवांशिक स्मृति मौजूद है.यह स्मृति एक मंच की तरह है. अगर आप इस पर खड़े हैं, तो आपके जीवन की प्रचुरता अभिव्यक्त होती है, और आप उस मंच पर नृत्य कर सकते हैं. लेकिन अगर आप उसमें डूब जाते हैं, तो यह एक दलदल की तरह बन जाता है, और अतीत लोगों पर हावी हो जाता है. इस पर गौर कीजिए कि ज्यादातर लोग अपने जीवन में किस चीज से दुखी हैं. वे उस चीज से दुखी हैं जो दस साल पहले हुई थी और जो परसों हो सकती है. असल में वे जीवन से जुड़े हुए नहीं हैं. वे अपने मनोवैज्ञानिक दायरे को अस्तित्वगत समझने की गलती कर रहे हैं. इस धरती पर लोग दो सबसे अविश्वसनीय गुणों से पीड़ा पा रहे हैं, जो सिर्फ मनुष्य के ही पास हैं. वो हैं स्मृति का जीवंत बोध और कल्पना करने की जबरदस्त क्षमता.वास्तव में, इंसान विकासमूलक प्रक्रिया से पीड़ित हैं. वे बस यह कह रहे हैं कि अगर मैं एक केंचुआ होता तो मैं ज्यादा शांतिमय होता.’ केंचुआ एक जबरदस्त जीव है. यह पर्यावरण के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन इसकी संभावना सीमित है. मनुष्य होने का महत्व यह है कि संभावनाएं असीमित हैं. इसीलिए हम विकास की सीढ़ी में सबसे ऊपर हैं.इस धरती पर करोड़ों जीवों में से, विकास की दृष्टि से, तंत्रिकीय क्षमताएं, बोध, और अपने बोध को आत्मसात करने में हम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं. लेकिन ज्यादातर इंसान यह महसूस नहीं करते कि वे दुनिया में सबसे ऊपर हैं क्योंकि वे अपनी स्मृति के मंच में डूब रहे हैं. यह विशाल स्मृति एक जबरदस्त चीज है. सवाल यह है कि क्या आप इस मंच पर खड़े होकर अपना काम करेंगे या आप इसमें डूब जाएंगे और मर जाएंगे? आपके पास बस यही विकल्प है.हमारे भविष्य को हमारे अतीत से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए. अब नए भविष्य को घटित होना चाहिए. आप जिसका सपना तक नहीं देख सके, वह चीज आपके जीवन में होनी चाहिए. आप जिसकी कल्पना तक नहीं कर सकते, उसे आपके जीवन में होना चाहिए. आप जिसका सपना देख पाए, अगर वह हुआ तो उसका क्या लाभ? आप सिर्फ उसका सपना देख सकते हैं जो आप जानते हैं. अगर सिर्फ वही होता है जो आप जानते हैं तो वह एक नीरस जीवन है. ऐसा कुछ होना चाहिए जिसका सपना भी आप अभी नहीं देख सकते - सिर्फ तभी, जीवन रोमांचक होगा.सद्गुरु एक योगी, रहस्यदर्शी, युगदृष्टा, और बेस्ट-सेलिंग लेखक हैं. उन्हें 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.