यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य MLC के पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. इसके बाद दोनों बीजेपी नेताओं ने गुरुवार को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया. नियम के मुताबिक एक वक्त में किसी एक पद पर ही रहा जा सकता है. यूपी के मुख्यमंत्री ने मौर्य के साथ दिल्ली आकर लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया.दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ सीट से निर्वाचित हुए थे. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई,योगीऔरकेशवमौर्यनेलोकसभासदस्यतासेदियाइस्तीफा तो योगी आदित्यनाथ को सीएम और केशव मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया. इसके बाद ये तय था कि दोनों नेता लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे. अब MLC बन जाने के बाद दोनों का लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना समय की बात है. योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा विधान परिषद के लिए निर्विरोध चुने गए थे. इन तीनों के अलावा स्वतंत्रदेव सिंह और मोहसिन रजा का भी एमएलसी के रूप में निर्विरोध चयन हुआ है. बता दें कि यूपी सरकार में के अलावा चार मंत्री ऐसे थे जो न तो विधायक थे और न ही MLC. ऐसे में उन्हें मंत्री पद पर बने रहने के लिए 6 महीने के अंदर सूबे के किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी था. ऐसे में इन मंत्रियों के 19 सितंबर को 6 महीने पूरे हो रहे थे, इस डेटलाइन से पहले इन्हें सदन का सदस्य बनना था.पिछले दिनों सूबे के पांच विधान परिषद सदस्यों ने अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा. इनमें चार एसपी और एक बीएसपी MLC थे. एसपी के यशवंत सिंह, अशोक वाजपेयी, सरोजिनी अग्रवाल और बुक्कल नवाब तो वहीं बीएसपी के जयवीर सिंह ने भी इस्तीफा दिया था.चुनाव आयोग ने पांच सीटों के बजाए चार सीटों पर चुनाव कराने का फैसला किया था. जयवीर सिंह के कार्यकाल का एक साल से कम का समय बचा होने से आयोग ने मना कर दिया. लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने दोबारा से अधिसूचना जारी करके रिक्त हुई जयवीर सिंह की सीट पर चुनाव कराने फैसला किया है. इससे बीजेपी के सभी सदस्यों की राह आसान हुई और निर्विरोध निर्वाचित हुए.